धर्म ग्रन्थ जो पढ़ नहीं पाया,
फतवे प्रवचन सुन नहीं पाया,
पंडित मोमिन पादरियों की,
छाया को भी छू नहीं पाया,
मन से दी मालिक को सदा,
परहित हाथ तुरंत बढाया,
पूजा हो गई साकार,जिसने ,
राष्ट्र हित कदम बढाया,
रच देता इतिहास वही जो,
इंसानियतनभ वाले को खुश कर पाया……